यह हनुमान जी का मंदिर एक किले की तरह हे जिसका निर्माण खटाणा गुर्जरो ने किया था। यहां पर पहले चार मुर्तिया यहां विराजमान थी। गुर्जरो के बाद ठिकाना बेदला ने यहा राज किया तथा अपनी कुलदेवी माँ आशापुरा को किले के अंदर स्थापित किया। यह पर लोगो की सहायता से सीढिया व सड़क निर्माण करवाई गई थी अभी भारत सरकार द्वारा सड़क को पुनः निर्माण कर सुदृढ़ किया गया है। यह मंदिर गंगरार में पूर्व दिशा में पहाड़ के ऊपर स्थित है मंदिर के चारो और किले नुमा दीवार है। और मंदिर के पीछे पहाड़ी में एक गहरा कुआँ भी मौजूद हे। कहा जाता हे जब गंगरार में राजाओं की हुकूमत थी तब यह कुआ खुदवाया गया था कुआ कितना गहरा हे यह अभी तक पता नहीं चल पाया हे। हनुमान जी के मंदिर के पीछे राठौड़, चौहानो की कुलदेवी आशापूरा माता का मंदिर है। इस मंदिर पर आने के बाद और कही जाने का मन नहीं होता हे। यहां से पुरे गांव का नजारा इतना मनमोहक व साफ दिखाई देता है, जिसमे गांव का बड़ा तालाब, मातृकुण्डिया रोड स्थित शबरी माता का मंदिर, व स्वामी विवेकानन्द मॉडल स्कूल आदि दिखाई देते है ।
मंदिर के पीछे से NH 79 हाईवे और उससे गुजरते वाहन, रेल्वे स्टेशन, और मेवाड़ विश्वविद्यालय भी देखा जा सकता है गंगरार से हनुमानजी के मंदिर आने के लिए गांव के बस स्टेण्ड चौराहा से दक्षिण की और बॉयज स्कूल के यहां से सड़क मार्ग व सीढ़िया द्वारा पंहुचा जा सकता हे मंदिर में हर रोज सुबह श्याम आरती व मंगलवार को सुन्दरकांड का पाठ किया जाता हे जिसमे बड़ी संख्या में लोग उपस्तिथ होते है। और मंदिर के रास्ते में पहाड़ पर ही एक और पंचमुखी बालाजी का मंदिर हे जिसे स्वर्गीय पंडित भैरव शंकर जी शर्मा द्वारा निर्मित करवाया गया है यहां बालाजी की पंचमुखी मूर्ति और उनके सामने पंडित भैरव शंकर जी शर्मा की मूर्ति विराजमान हे भैरव शंकर जी शर्मा भजन लिखते व गाते थे और वह गंगरार के आसपास के गांव में गुरु के स्वरूप माने जाते थे। और उनकी ही याद में गंगरार में हनुमान जन्मोत्सव व गुरुपूर्णिमा को मंदिर में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हे जो एक मेले के समान होता हे