श्री सांवरिया जी मंदिर मण्डपिया
Gangrar Temple
सारणेश्वर महादेव मंदिर गंगरार
20/06/2018
Charbhuja Nath Gadhbor
Shree Charbhuja Nath Temple Gadhbor
04/09/2018
Show all

श्री सांवरिया जी मंदिर मण्डपिया

Sanwariya Ji Mandpiya

श्री सांवरिया जी मंदिर मंडपिया चित्तौडगढ़

गंगरार से लगभग 62 किलोमीटर दूर चित्तौड़गढ सॆ उदयपुर् की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग 76 पर 28 कि. मी. दूरी (इस राजमार्ग पर उदयपुर से चित्तौड़गढ की ओर 82 कि. मी. ) पर स्थित प्रसिद्ध श्री सांवलिया जी प्राकट्य स्थल मंदिर प्रतिवर्ष अपनी सुन्दरता एवम वैशिष्ट्य के कारण हजारों यात्रियों को बरबस आकर्षित करता है| दर्शन हेतु आप किसी भी समय यहाँ आयें, आपको दर्शनार्थियों की भीड़ ही मिलेगी। मंडफिया मंदिर कृष्ण धाम के रूप में सबसे ज्यादा प्रसिद्द है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी एवं डबोक एयरपोर्ट से 65 किमी की दुरी पर स्थित है। मंडफिया मंदिर देवस्थान विभाग राजस्थान सरकार के अन्तर्गत आता है । श्री सांवलिया जी प्राकट्य स्थल नाम से प्रसिद्ध इस स्थान से सांवलिया सेठ की 3 प्रतिमाओं के उद्गम का भी अपना इतिहास है।

भगवान श्री साँवलिया जी की मूर्तिया

भगवान श्री साँवलिया सेठ का संबंध मीरा बाई से बताया जाता है। किवदंतियों के अनुसार साँवलिया सेठ मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है जिनकी वह पूजा किया करती थी। मीरा बाई संत महात्माओं की जमात में इन मूर्तियों के साथ भ्रमणशील रहती थी। ऐसी ही एक दयाराम नामक संत की जमात थी जिनके पास ये मुर्तिया थी। बताया जाता है की जब औरंगजेब की मुग़ल सेना मंदिरो को तोड़ रही थी तो मेवाड़ राज्य में पहुचने पर मुग़ल सैनिको को इन मूर्तियों के बारे में पता लगा तो संत दयाराम जी ने प्रभु प्रेरणा से इन मूर्तियों को बागुंड-भादसौड़ा की छापर (खुला मैदान ) में एक वट-वृक्ष के निचे गड्ढा खोद के पधरा दिया और फिर समय बीतने के साथ संत दयाराम जी का देवलोकगमन हो गया।

किवदंतियों के अनुसार

किवदंतियों के अनुसार कालान्तर में सन 1840 मे मंडफिया ग्राम निवासी भोलाराम गुर्जर नाम के ग्वाले को एक सपना आया की भादसोड़ा-बागूंड गाँव की सीमा के छापर मे 3 मूर्तिया ज़मीन मे दबी हुई है, जब उस जगह पर खुदाई की गयी तो भोलाराम का सपना सही निकला और वहा से एक जैसी 3 मूर्तिया प्रकट हुयी। सभी मूर्तिया बहुत ही मनोहारी थी। देखते ही देखते ये खबर सब तरफ फ़ैल गयी और आस-पास के लोग प्राकट्य स्थल पर पहुचने लगे।

मंदिर निर्माण

फिर सर्वसम्मति से 3 में से सबसे बड़ी मूर्ति को भादसोड़ा ग्राम ले जायी गयी, भादसोड़ा में सुथार जाति के अत्यंत ही प्रसिद्ध गृहस्थ संत पुराजी भगत रहते थे। उनके निर्देशन में उदयपुर मेवाड राज-परिवार के भींडर ठिकाने की ओर से साँवलिया जी का मंदिर बनवाया गया। यह मंदिर सबसे पुराना मंदिर है इसलिए यह साँवलिया सेठ प्राचीन मंदिर के नाम से जाना जाता है। मझली मूर्ति को वही खुदाई की जगह स्थापित किया गया इसे प्राकट्य स्थल मंदिर भी कहा जाता है। सबसे छोटी मूर्ति भोलाराम गुर्जर द्वारा मंडफिया ग्राम ले जायी गयी जो उन्होंने अपने घर के परिण्डे में स्थापित करके पूजा आरम्भ कर दी । कालांतर में सभी जगह भव्य मंदिर बनते गए। तीनो मंदिरों की ख्याति भी दूर-दूर तक फेली।

चित्तौड़गढ़ के श्री साँवलिया जी

विश्व प्रसिद्द श्री सांवलिया सेठ के मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के भादसोड़ा ग्राम में स्थित है। यहाँ दूर-दूर से लाखों यात्री प्रति वर्ष दर्शन करने आते हैं, विशेषकर उत्तर- पश्चिमी भारत के अनेको राज्य जैसे मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। 1961 से ही इस प्रसिद्ध स्थान पर देवझूलनी एकादशी पर विशाल मेले का आयोजन हो रहा है। वर्ष पर्यन्त मंदिर में सभी त्योहार धूमधाम से मनाये जाते है

भगवान श्री साँवलिया जी में विशेष उत्सव

जिनमे होली फूलडोल महोत्सव, जन्माष्टमी, जलझुलनी एकादशी, दीपावली पर लक्ष्मी पूजन एवं अन्नकूट पर्व मुख्य है| हर एक उत्सव पर लाखो की संख्या में भक्त भाग लेते है| प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दशमी, एकादशी व द्वादशी को 3 दिवसीय विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।जिसमे रथयात्रा के साथ साँवलिया सेठ जी के बार रूप को सरोवर घाट पर जल विहार के लिए ले जाया जाता है| प्रतिमाह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को साँवलियाजी का दानपात्र(भंडार) खोला जाता है और अगले दिन यानी अमावस्या को पुरे दिन प्रसाद का वितरण किया जाता है और शाम को विशाल ब्रह्मभोज-प्रसादी का आयोजन होता है। चतुर्दशी में दिन के साथ ही 2 दिवसीय मासिक मेला प्रारम्भ हो जाता है|

मुख्य मंदिर निर्माण

विगत कई वर्षो से अक्षरधाम मंदिर गुजरात की तर्ज पर श्री साँवलिया सेठ मंदिर का निर्माण जारी है| इसमें मुख्य मंदिर के दोनों तरफ बरामदों में दीवारों पर आकर्षक चित्रकारी का प्रदर्शन किया गया है| मंदिर में बीच के खाली मैदान में बग़ीचे के साथ साथ संगीतमय फव्वारा लगाया जायेगा|



आपको ये पोस्ट कैसी लगी कृपया नीचे कमेंट बॉक्स में अपना जवाब और सुझाव प्रदान करे। धन्यवाद्
Gangrar News, Gangrar All Villages, Gangrar Ka itihas, Gangrar Rajasthan

Sanwariya Ji Mandpiya Jay Ho Sanwariya Seth Ki

1 Comment

  1. Harivansh says:

    जय हो सावरीया सेठ की जय जय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *